पटना, 17 अक्टूबर, 2025: इंडिया रिसर्च टूर 2025, जो देश की सबसे महत्वाकांक्षी अनुसंधान पहल में से एक है, बिहार की राजधानी पटना पहुँचा। यहाँ इसने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) पटना और आईसीएआर रिसर्च कॉम्प्लेक्स फॉर ईस्टर्न रीजन के शिक्षकों, शोधकर्ताओं और विद्यार्थियों के साथ संवाद किया। इससे एक दिन पहले, यह टूर गया स्थित आईआईएम बोधगया और सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ बिहार पहुँचा, जहाँ इसने वहाँ के अकादमिक समुदाय से मुलाकात किया।
स्प्रिंगर नेचर द्वारा शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से आयोजित ‘इंडिया रिसर्च टूर 2025’ की औपचारिक शुरुआत 6 अक्टूबर 2025 को नई दिल्ली स्थित भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICSSR) में की गई।
इसकी शुरुआत के बाद से, यह टूर उत्तर प्रदेश के कई शहरों- ग्रेटर नोएडा, लखनऊ, कानपुर और वाराणसी का दौरा कर चुका है, जहाँ इसने विभिन्न संस्थानों के शोधकर्ताओं के साथ संवाद और सहभागिता स्थापित की।
यह टूर 7 राज्यों के 15 शहरों में 29 संस्थानों का दौरा कर रहा है। इसमें शोधकर्ता, नीति निर्माता और शिक्षा से जुड़े लोग शामिल हैं। इसका मुख्य उद्देश्य शोध को मजबूत बनाना, ओपन एक्सेस और ओपन साइंस को बढ़ावा देना, ई-बुक के इस्तेमाल को बढ़ाना, संपादकीय बोर्ड में नए सदस्यों को जोड़ना और शोध में विविधता व समावेशिता को बढ़ावा देना है।
पटना में चर्चा का मुख्य केंद्र बिहार के शोध संस्थानों की भारत के विकास एजेंडा में भूमिका रही। इसमें यह बताया गया कि कैसे कृषि, इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में स्थानीय शोध क्षेत्रीय चुनौतियों का समाधान करते हुए राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को भी पूरा कर सकता है।
स्प्रिंगर नेचर इंडिया के प्रबंध निदेशक, वेंकटेश सर्वसिद्धि ने कहा,”आईआईटी, आईसीएआर, आईआईएम बोधगया और सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ बिहार जैसे संस्थान प्रौद्योगिकी, प्रबंधन और कृषि विज्ञान में अग्रणी हैं, और बिहार भारत की विकास कहानी में योगदान देने की बड़ी क्षमता रखता है। इंडिया रिसर्च टूर का उद्देश्य वैश्विक श्रेष्ठ प्रथाओं और स्थानीय विशेषज्ञता के बीच मजबूत संबंध स्थापित करना है। बिहार के शोधकर्ताओं के साथ सीधे संवाद करके हम सहयोग को बढ़ावा देना, ओपन साइंस को प्रोत्साहित करना और शोधकर्ताओं को ऐसे नवाचारों को विकसित करने में सशक्त बनाना चाहते हैं जो राज्य और देश दोनों के विकास में सहायक हों।”
इंडिया रिसर्च टूर 2025 के बिहार दौरे के दौरान, स्प्रिंगर नेचर ने पटना स्थित आईसीएआर रिसर्च कॉम्प्लेक्स फॉर ईस्टर्न रीजन में अपनी नई पत्रिका क्यूरियस जर्नल ऑफ एग्रीकल्चर एंड फूड साइंस (Cureus Journal of Agriculture and Food Science – CJAF) का शुभारंभ किया। यह जर्नल स्प्रिंगर नेचर की क्यूरियस जर्नल्स श्रृंखला का हिस्सा है और इसका उद्देश्य वैज्ञानिक प्रकाशन को अधिक समावेशी, पारदर्शी और प्रभावशाली बनाना है। सीजेएएफ शोधकर्ताओं को उनके कार्यों को प्रकाशित करने के लिए एक आसान और लेखक-अनुकूल मंच प्रदान करता है, जिसमें फसल विज्ञान, खाद्य प्रौद्योगिकी, कृषि जैव प्रौद्योगिकी, मृदा विज्ञान, पशु एवं डेयरी विज्ञान और सतत कृषि जैसे क्षेत्रों को कवर किया जाएगा। इस पहल से न केवल शोधकर्ताओं को अपने कार्यों को वैश्विक मंच पर साझा करने का अवसर मिलेगा, बल्कि भारत के कृषि और खाद्य विज्ञान के क्षेत्र में गुणवत्ता और प्रभावशाली शोध को बढ़ावा भी मिलेगा।
इससे एक दिन पहले, इंडिया रिसर्च टूर बोधगया और गया के शैक्षणिक संस्थानों में पहुँचा। इस दौरान स्प्रिंगर नेचर के प्रतिनिधियों ने आईआईएम बोधगया और सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ बिहार के शोधकर्ताओं के साथ बातचीत की। इसमें प्रबंधन शोध के भविष्य, विभिन्न विषयों में सहयोग का महत्व और सामाजिक विज्ञान की भूमिका पर चर्चा हुई, ताकि भारत की विकास संबंधी समस्याओं का समाधान किया जा सके। साथ ही यह भी बताया गया कि बिहार के संस्थान क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा दे सकते हैं और भारत की वैश्विक शोध क्षमता में योगदान कर सकते हैं।
यह भारत रिसर्च टूर का तीसरा संस्करण है, और यह देश के अनुसंधान के माहौल में ईमानदारी, सबको साथ लेकर चलने और नए विचारों को बढ़ावा देने के लिए एक देशव्यापी मंच बन गया है।
इंडिया रिसर्च टूर 2025 के मुख्य स्तंभ:
• ओपन एक्सेस और ONOS: खुली पहुँच और वन नेशन, वन सब्सक्रिप्शन पहल को बढ़ावा देना।
• अनुसंधान अखंडता और AI: अनुसंधान नैतिकता को मजबूत करना और प्रकाशन में AI की भूमिका पर विचार।
• विविधता और समावेशन: ‘हर रिसर्च, आवर फ्युचर’और ‘रिसर्च एंबेसडर प्रोग्राम’ के माध्यम से शोध में समावेशन को बढ़ावा।
• सतत विकास लक्ष्यों का समर्थन: ज्ञान का लोकतंत्रीकरण करके और पहुँच बढ़ाकर सतत विकास लक्ष्यों का समर्थन।
इंडिया रिसर्च टूर 2025 अपने बड़े पैमाने और उद्देश्य के कारण सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं है, बल्कि पूरे देश में एक आंदोलन है। इसका उद्देश्य शोधकर्ताओं को मजबूत बनाना, ज्ञान सबके लिए आसान बनाना और भारत को विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ाना है।
