पटना। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बिहार दौरे के आखिरी दिन शुक्रवार को गया के महाबोधि मंदिर में भगवान बुद्ध को नमन किया और सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ बिहार के दीक्षांत समारोह में भाग लिया। यहां उन्होंने 103 स्टूडेंट्स को मेडल दिए जिसमें 66 छात्राएं शामिल थीं। चार बजे वह यूनिवर्सिटी से गया एयरपोर्ट के लिए रवाना हो गईं। इससे पहले गुरूवार को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के प्रथम दीक्षात समारोह में शामिल हुईं, जहां राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी मौजूद थे।
एम्स के दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि यहां आकर मुझे काफी खुशी हो रही है। आज का दिन आप सबके लिए बहुत खुशी का दिन है। आज एम्स पटना का पहला दीक्षांत समारोह है। मुझे इस बात की खुशी है कि आज डॉक्टरेट की उपाधि पानेवालों में 55 प्रतिशत से अधिक लड़कियां हैं। मैं उन सभी लड़कियों को इसके लिए बधाई देती हूं। माता-पिता और डॉक्टर भगवान के रुप होते हैं। इसलिए डॉक्टर सेवाभाव से कार्य करें। आपको एम्स जैसे संस्थान से उपाधि प्राप्त करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। हम सब जानते हैं कि पहले भारत में एक ही एम्स था। यह संस्थान अत्यंत सक्षम डॉक्टर तैयार कर रहा है। यहां से उपाधि प्राप्त कर देशवासियों को स्वस्थ रखने की आपके ऊपर बड़ी जिम्मेदारी है। पिछले कुछ वर्षों में कई मेडिकल कॉलेज और अस्पताल बनाये गये हैं, जिससे लोगों को बहुत सहूलियत मिल रही है।
दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुये राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा कि एम्स पटना के प्रथम दीक्षांत समारोह में आना हम सब का सौभाग्य है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का यहां आना हम सबके लिए लाभदायक है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार को बहुत सारी सुविधाएं दी है और बहुत सारी घोषणाएं की है। आज का दिन हमसब के लिए शुभदिन है। आज के इस कार्यक्रम का नाम दीक्षांत समारोह है, शिक्षांत समारोह नहीं। क्योंकि शिक्षा का अंत नहीं होता। शिक्षा निरंतर चलती रहती है। इस शिक्षा के द्वारा समाज में सेवा कैसी करनी है, आपके काम से आपकी पहचान होनी चाहिए। आपके काम देखकर लोगों को पता लग जाना चाहिए कि आप एम्स जैसे संस्थान से पढ़ाई किए हैं।
दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुये मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि इस विशेष मौके पर जिन छात्र-छात्राओं ने उपाधि और गोल्ड मेडल प्राप्त किये हैं, उन्हें मैं शुभकामनायें देता हूं। यह आपके लिये गौरवपूर्ण क्षण है। आपने कठिन परिश्रम और अध्ययन के बाद यह उपलब्धि हासिल की है। 25 सितम्बर 2012 को पटना एम्स का उद्घाटन किया गया। उद्घाटन समारोह में मैं भी शामिल था। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2013 से एम्स की शुरूआत हो गयी। यहां पर 960 बेड उपलब्ध है। सभी प्रकार की सर्जरी एवं अन्य जटिल रोगों का इलाज बेहतर ढंग से होता है। कोरोना के समय पूरे बिहार में सबसे बढ़िया इलाज पटना एम्स में ही हो रहा था। एम्स की मांग पर हमलोगों ने 330 करोड़ रूपये की राशि से 27 एकड़ जमीन एम्स को और उपलब्ध करा रहे हैं। एम्स के बगल में ही मरीजों के परिजनों को ठहरने के लिये 248 बेड का धर्मशाला का निर्माण जल्द पूरा होगा ताकि मरीजों के परिजनों को किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं हो। पटना एम्स पहुंचने में किसी को दिक्कत नहीं हो, इसके लिये हमने एलिवेटेड सड़क बनवाई। यहां आने में किसी को कोई परेशानी नहीं हो, इसको लेकर सभी तरह की व्यवस्था की जा रही है। पटना एम्स को आगे जो भी जरूरत होगी, राज्य सरकार उसमें सहयोग करेगी। कार्यक्रम को केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार, एम्स के अध्यक्ष डॉ. सुब्रत सिन्हा, कार्यपालक निदेशक डॉ. गोपाल कृष्ण पाल ने भी संबोधित किया।