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नागपंचमी पर सांप को दूध पिलाने से पहले जान लें, ये जरूरी बातें

🙏 ।।श्री गुरूदेव दत्त।। 🙏

नागपंचमी पर सांप को दूध पिलाने से पहले जान लें, ये जरूरी बातें

यूं ही न बनें क‍िसी भी परंपरा का ह‍िस्‍सा

नागपंचमी के पर्व पर सांपों को दूध प‍िलाने की परंपरा कई वर्षों से चली आ रही है। लेक‍िन क्‍या आप जानते हैं क‍ि इस परंपरा के चलते नागपंचमी के द‍िन या फिर कुछ द‍िनों बाद क‍ितने सांपों की मौत हो जाती है। बता दें क‍ि इस बार नागपंचमी 25 जुलाई को है। और अगर आप भी ऐसा ही करते आए हैं तो इस बार इस परंपरा का ह‍िस्‍सा बनने से पहले यहां बताई गई बातों पर एक बार गौर जरूर कर लें। ताकि परंपराओं के नाम पर कहीं बेजुबानों जीवों की जान न चली जाए।

भविष्य पुराण में नागपूजा का ज‍िक्र

भविष्य पुराण के पंचमी कल्प में नागपूजा और नागों को दूध पिलाने का जिक्र किया गया है। मान्‍यता है कि सावन के महीने में नाग देवता की पूजा करने और नाग पंचमी के दिन दूध अर्पित करने से नाग देवता प्रसन्न होते हैं और नागदंश का भय नहीं रहता है। यह भी मान्यता है कि नागों की पूजा से अन्‍न-धन के भंडार भी भरे रहते हैं। मगर विज्ञान की मानें तो सांप को दूध पिलाना काफी नुकसानदेय है।

नाग को दूध प‍िलाने की धार्मिक मान्‍यताएं

मान्‍यता है क‍ि नाग पंचमी के दिन सांप को दूध पिलाने और धान का लावा अर्पित करने की परंपरा है। इस दिन सपेरे टोलियों में घर-घर घूमकर नागों के दर्शन करवाते हैं और भिक्षा मांगते हैं। श्रद्धालु नागों को दूध पिलाने के साथ सपेरे को भी दान देते हैं। लेकिन धार्मिक मान्‍यताओं के अनुसार नाग को दूध पिलाने से पाचन नहीं हो पाने या प्रत्यूर्जता से उनकी मृत्यु हो जाती है। इसलिए शास्त्रों में नागों को दूध पिलाने को नहीं बल्कि दूध से स्नान कराने को कहा गया है। लेकिन लोगों ने सांप को दूध प‍िलाने की परंपरा ही शुरू कर दी। जबक‍ि इससे सांपों की ज‍िंदगी पर बन आती है।

सांप को दूध प‍िलाने पर वैज्ञानिक मत

विज्ञान कहता है सांप को दूध पिलाना खतरनाक है। विज्ञान की मानें तो सांप रेप्‍टाइल जीव हैं न कि स्‍तनधारी। रेप्‍टाइल जीव दूध को हजम नहीं कर सकते और ऐसे में कई बार उनकी मृत्‍यु तक हो जाती है। दूध पिलाने से सांप की आंत में इन्‍फेक्‍शन हो सकता है। इसके चलते कई बार सांप की जिंदगी पर बन आती है।

यह भी है मुख्‍य वजह

दरअसल नाग पंचमी से महीने-डेढ़ महीने पहले जंगल से सांपों को पकड़ा जाता है। उसके बाद इन्‍हें बहुत ही निर्ममता से भूखा-प्‍यासा रखा जाता है और कई बार तो इनके दांत तक निकाल दिए जाते हैं। ताकि ये काट न सकें। एक महीने तक इस तरह से रहने के बाद सांप का शरीर सूख जाने के साथ ही उसकी मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं। यही वजह है एक महीने तक भूखा-प्‍यासा रहने के बाद नागपंचमी वाले दिन सांप तेजी से दूध पी लेते हैं। जो क‍ि इनके लिए बहुत ही नुकसानदेय होता है।
यूं बन जाता है दूध सांप के ल‍िए जहर

सर्प विशेषज्ञों के अनुसार सपेरे नाग पंचमी से पहले ही सांपों को पकड़कर उनके दांत तोड़ देते हैं और जहर की थैली निकाल लेते हैं। इससे सांप के मुंह में घाव हो जाता है। इसके बाद सपेरे सांप को भूख रखते हैं और नागपंचमी के द‍िन इन्‍हें दूध प‍िलाते हैं। सांप क्‍योंक‍ि मांसाहारी है इसलिए भूख-प्‍यास से परेशान सांप दूध को पानी समझकर पीते हैं। जो कि उनके मुंह में बने घाव में मवाद बन जाता है और इससे कुछ ही द‍िनों में सांपों की मौत हो जाती है। इसलिए बेहतर यही है क‍ि सांपों को नागपंचमी पर दूध प‍िलाने से बचें।

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