सात घंटे की मशक्कत के बाद भी जब कांग्रेस कोई हल नहीं निकाल पायी और सोनिया गांधी को ही अंतरिम अध्यक्ष बने रहने कह दिया गया तो इतना तो साफ हो गया कि कांग्रेस में लीडरशिप का ये संकट अभी कम से कम एक साल तक और चलता रहेगा.
Newsmantra.in को मिली जानकारी के अनुसार कांग्रेस में नये और पुराने का संघर्ष की वजह गांधी परिवार नहीं बल्कि राहुल गांधी द्वारा चुनी गयी टीम है जो सीनियर नेताओं को हर बात के लिए जिम्मेदार ठहराकर उन्हें बाहर करना चाहती है. .सूत्रों के अनुसार चिठठी लीक होने और उस पर बवाल करने की तैयारी भी टीम राहुल ने ही की थी .इसके पीछे केरल के कांग्रेस नेताओं का हाथ बताया जा रहा है . कांग्रेस की सोशल मीडिया टीम की प्रमुख दिव्या स्पंदना ने तो खुलकर आरोप लगा दिया कि चिठठी वहीं से लीक हुयी जहां भेजी गयी थी यानी संगठन महासचिव के सी वेणुगोपाल के दफ्तर से और पार्टी की वर्चुअल मीटिंग कराने वालों ने ही अंदर की बातें बतायी .
सूत्रों के अनुसार अभी गुजरात के प्रभारी राजीव सातव ने जिस तरह से खुलकर आरोप लगाये उससे कई सीनियर नेता आहत है.उनको लगता है कि इसको राहुल गांधी की शह है . अब सब मिलकर तैयारी कर रहे है कि राहुल को नहीं उनकी टीम को हटाया जाये . दरअसल गांधी परिवार की सबसे बडी गलती यही है कि वो पार्टी के मामले में खुद पार्टी बन गये . हमेशा से पार्टी में विवाद होते रहते हैं लेकिन शीर्ष नेतृत्व उसे केवल निपटाता है खुद शामिल नहीं होता . पर अब हालात बदल गये है.
जानकारों की मानें तो आने वाले एक साल तक ये विवाद चलता रहेगा .राहुल को ही दोबारा प्रमुख बनाने की कवायद होगी बस कोशिश की जायेगी कुछ ऐसे बदलाव हों जिनमें सीनियर्स की सुनवाई हो और वो रास्ता प्रियंका के जरिये निकलेगा ..गांधी परिवार के बिना ना तो कांग्रेस चल सकती है और ना ही कांग्रेस के बिना गांधी परिवार .
-संदीप सोनवलकर