अष्टविनायक यह भगवान गणपति के प्रसिद्ध आठ मंदिर हैं जो महाराष्ट्र में हैं। पश्चिमी महाराष्ट्र और कोंकण के इन मंदिरों का स्वतंत्र इतिहास है।
सिद्धटेक में भीमा नदी के तट पर बसा सिद्धिविनायक मंदिर अष्टविनायको में से एक है। यह मंदिर महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के कर्जा तालुका के सिद्धटेक में भीमा नदी के तट पर स्थित है। मंदिर का सबसे करीबी स्टेशन दौंड (19 किलोमीटर) है। यहाँ पर बने भगवान गणेश की मूर्ति की सूंढ़ दाईं तरफ मुड़ी हुई है और इसी वजह से भगवान गणेश की इस मूर्ति को काफी शक्तिशाली माना जाता है।
मुद्गल पुराण में भी इस मंदिर का उल्लेख किया गया है। ब्रहमांड के रचयिता ब्रह्मा की उत्पत्ति कमल से हुई, जिसकी उत्पत्ति भगवान विष्णु की नाभि से हुई और भगवान विष्णु योगीन्द्र पर सो रहे थे। इसके बाद जब ब्रह्मा ने ब्रह्माण्ड के निर्माण की शुरुवात की तब विष्णु के कानो के मैल से दो असुर मधु और किताभा की उत्पत्ति हुई।
इसके बाद दोनों असुरो ने ब्रह्मा की प्रक्रिया में बाधा डाली। इस घटना ने भगवान विष्णु को जागने पर मजबूर कर दिया। विष्णु ने भी युद्ध की शुरुवात कर दी, लेकिन वे उन्हें पराजित नही कर पा रहे थे। इसके बाद उन्होंने भगवान शिव से इसका कारण पूछा।
शिवजी ने विष्णु को बताया की शुभ कार्य से पहले पूजे जाने वाले शुरुवात के देवता – गणेश को वे आव्हान करना भूल गये और इसीलिए वे असुरो को पराजित नही कर पा रहे है।
इसके बाद भगवान विष्णु सिद्धटेक में ही तपस्या करने लगे और “ॐ श्री गणेशाय नमः” मंत्र का जाप कर उन्होंने भगवान गणेश को खुश कर दिया। मंत्रोच्चार से खुश होकर भगवान गणेश ने भी खुश होकर विष्णु को बहुत सी सिद्धियाँ प्रदान की और युद्ध में लौटकर असुरो का अंत किया। यहाँ विष्णु ने सिद्धियाँ हासिल की उसी जगह को आज सिद्धटेक के नाम से जाना जाता है।
मंदिर में तीन मुख्य उत्सव मनाए जाते है। गणेश प्रकटोत्सव, जो गणेश चतुर्थी के समय मनाया जाता है। इस उत्सव पर मेले का भी आयोजन किया जाता है।
इस उत्सव को महीने के पहले से आंठवे दिन तक मनाया जाता है। इस उत्सवो के समय भगवान गणेश की पालखी भी निकाली जाती है।