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अशोक चव्हाण का पत्ता कैसे कटा क्यों नही बन पाये मंत्री

अशोक चव्हाण का पत्ता कैसे कटा क्यों नही बन पाये मंत्री

कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री और दिग्गज नेता अशोक चव्हाण कल रात से ही राज्य की नई गठबंधन सरकार के लिए शपथ लेने की तैयारी करके बैठे थे . उनके कई समर्थक भी मुंबई  आ गये थे लेकिन ऐन मौके पर उनका पत्ता काट दिया और उनके घोर विरोधी नितिन राउत का नंबर लग गया .

अशोक चव्हाण जब अध्यक्ष थे तो उन्होने नितिन राउत को पार्टी से निकालने तक की सिफारिश कर दी थी क्योकि राउत के एक समर्थक ने चव्हाण पर नागपुर में स्याही फेंक दी थी .इसी कांड में एक और दिग्गज सतीश चतुर्वेदी को भी पार्टी से निकाल दिया गया

था . लेकिन दोनों अब पार्टी मे है और अशोक को किनारे कर दिया गया है. कहने को तो अशोक चव्हाण को मंत्री नही बनाये जाने की वजह बतायी गयी कि आज ही ईडी ने आदर्श मामले मे उनको नोटिस दिया है . लेकिन ये वजह नहीं हो सकती क्योंकि कांग्रेस खुद कह चुकी है कि ईडी का इस्तेमाल राजनैतिक विरोध के लिए होता है और अभी हाल ही में आदर्श की इमारत को तो पर्यावरण की मंजूरी तक मिल गयी है.

असल में इस खेल के पीछे भी शरद पवार है . अशोक चव्हाण और उनके पिता शंकरराव हमेशा से पवार के धुर विरोधी रहे है. नई सरकार मे बार बार सामने आ रहा था कि सब कुछ पवार ही चलायेंगे तो दिल्ली के आलाकमान की तरफ से आये अहमद पटेल और अविनाश पांडे ने सोनिया गांधी को ब्रीफ किया कि अशोक चव्हाण अगर बडी भूमिका मे रहेंगे तो केबिनेट में वो उदधव ठाकरे और एनसीपी दोनों पर लगाम लगायेंगे . कांग्रेस की तरफ से अशोक चव्हाण देर रात पूछा भी गया कि वो स्पीकर बनना चाहेंगे या मंत्री तो अशोक चव्हाण ने मंत्री की इच्छा जतायी लेकिन उसके साथ ही चव्हाण के विरोधी और खद पवार उनका पत्ता काटने में लग गये .

प्रभारी मल्लिकार्जुन खरगे भी चव्हाण के विरोधी है सो उन्होने तर्क दे दिया कि पूर्व मुख्यमंत्रियों का मंत्री बनना ठीक नहीं .इसलिए पृथ्वीराज चव्हाण को भी मंत्री ना बनाया जाये. पृथ्वीराज तो वैसे भी स्पीकर बनने पर नजर लगाये हुए हैं . ऐसे में दिल्ली को समझाया गया और अशोक का पत्ता काट दिया गया. जाहिर है अब थोरात या नितिन राउत जो मंत्री बन रहे है उनमें इतनी हिम्मत नही कि पवार के खिलाफ बोल सके और ना ही इतनी कि केबिनेट में विरोध कर सकें .

जब सरकार बनाने की बात चल रही थी तभी से अशोक चव्हाण को निपटाने  का खेल शुरु हो गया था . पहले उन पर आरोप लगाया कि वो सरकार बनाने के लिए एनसीपी की हर बात मान रहे है  दूसरा कि वो शिवसेना के बहुत करीब है. तीसरा कि वो मंत्रियो की लिस्ट बना रहे हैं. बात इतनी बडी कि आलाकमान को चव्हाण को समझाइश देनी पडी यहां तक कि कुछ दिन दूर रहे इसलिए चव्हाण को गठबंधन की बात कर रही कमेटी से भी दूर कर दिया .अशोक को तभी अंदाजा हो गया था लेकिन जब विधायकों को मनाने की बात आयी तो अशोक चव्हाण को खुद अहमद पटेल ने कहा कि काम करें उनका ध्यान रखा जायेगा. लेकिन अंतत चव्हाण को निपटा ही दिया गया . हो सकता है उनको अब फिर से पार्टी प्रमुख का पद आफर किया जाये लेकिन चव्हाण इसके लिए तैयार नही होगे..

 

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