newsmantra.in l Latest news on Politics, World, Bollywood, Sports, Delhi, Jammu & Kashmir, Trending news | News Mantra
Mantra View

कांग्रेस लीडरशिप को ये आवाज सुनना चाहिये

कांग्रेस में इन दिनों कई बडे नेता अपनी राजीनीति को जोखिम में डालकर भी आवाज उठा रहे है .वो ये जानते है कि उनके बोलने पर चापलूस नेताओं की जमात उनको दरकिनार कर सकती है लेकिन जरुरी है कि कांग्रेस लीडरशिप इन आवाजों को सुनें ताकि बदलाव की जमीन तैयार हो सके.

कपिल सिब्बल के बाद अब सबसे वरिष्ठ नेताओं में से एक गुलाम नबी आजाद ने कहा कि हमारे लोगों का ब्लॉक स्तर पर, जिला स्तर पर लोगों के साथ कनेक्शन टूट गया है। जब कोई पदाधिकारी हमारी पार्टी में बनता है तो वो लेटर पैड छाप देता है, विजिटिंग कार्ड बना देता है, वो समझता है बस मेरा काम खत्म हो गया, काम तो उस समय से शुरू होना चाहिए। कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि चुनाव 5-सितारा होटल में बैठकर नहीं जीते जाते। आज नेताओं के साथ समस्या यह है कि अगर उन्हें पार्टी का टिकट मिलता है, तो वे पहले 5-सितारा होटल बुक करते हैं। अगर कहीं कोई उबड़-खाबड़ सड़क है तो वे वहां नहीं जाएंगे। जब तक ये कल्चर हम नहीं बदलेंगे, हम चुनाव नहीं जीत सकते।


गुलाम नबी आजाद ने कहा कि हम सभी नुकसान के बारे में चिंतित हैं, खासकर बिहार और उपचुनाव परिणामों के बारे में। मैं नुकसान के लिए नेतृत्व को दोष नहीं देता हूं। क्योंकि पार्टी के बड़े नेताओं का जमीनी स्तर पर संपर्क टूट गया है। ब्लॉग लेवल पर, जिला स्तर पर कार्यकर्ताओं का संबंध लोगों से टूट गया है। आदमी को पार्टी से इश्क होना चाहिए। गुलाम नबी आजाद ने शेर सुनाते हुए कहा कि ये इश्क़ नहीं आसां इतना ही समझ लीजिए, इक आग का दरिया है और डूब के जाना है।


आजाद ने कहा, ‘हमारा ढांचा कमजोर है, हमें ढांचा पहले खड़ा करना पड़ेगा। फिर उसमें कोई भी नेता हो चलेगा। सिर्फ नेता बदलने से आप कहेंगे कि पार्टी बदल जाएगी, बिहार आएगा, मध्य प्रदेश आएगा, उत्तर प्रदेश आएगा, नहीं वो सिस्टम से बदलेगा।’

हालांकि आजाद के बयान के बाद विरोध भी शुरु हो गया है .पश्चिम बंगाल से सांसद अधीर रंजन चौधरी ने तो असंतुष्ट नेताओं को पार्टी छोडने की सलाह दे दी है . लेकिन ये रास्ता नहीं है असल में दोनों तरफ के विचारों को सुनकर ही रास्ता निकलना चाहिये .

इस बयान के बारे में पूछे जाने पर  सलमान खुर्शीद ने कहा कि शार्टकट से उनका मतलब अपनी विचारधारा त्यागने से था. उन्होंने कहा, ‘‘आपको अपनी विचारधारा क्यों छोड़नी चाहिए. यदि आपकी विचारधारा मतदाताओं को आपके लिए मतदान करने के लिए राजी नहीं कर पा रही है, तो या तो आपको अपनी दुकान बंद कर देनी चाहिए या आपको इंतजार करना चाहिए. हम मतदाताओं को राजी कर रहे हैं, इसमें समय लगेगा.’’

इस बीच वित्तमंत्री रहे पी चिंदबरम ने भी पार्टी में बदलाव का सुझाव दिया है .कांग्रेस गिरती अर्थव्यवस्था और कोरोनावायरस संकट के मुद्दे होने के बावजूद अच्छी मौजूदगी नहीं जता पाई, इस पर चिदंबरम ने कहा कि ‘मुझे गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक के उपचुनावों की चिंता ज्यादा है. यह नतीजे दिखाते हैं कि या तो पार्टी की जमीन पर संगठन के तौर पर मौजूदगी ही नहीं है, या फिर बहुत ज्यादा कम हुई है

 

Related posts

समर शेष है…

Newsmantra

Life has come to a standstill in Bihar

Newsmantra

Urgent need to end gender discrimination’ – Vice President

Newsmantra

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More